10 April 2008

मेरे प्रकाशित लेखों के कुछ सन्दर्भ

* प्रेमचन्द मुंशी कैसे बने -डा० जगदीश व्योम

* यह भी देखे-

2 comments:

पारुल "पुखराज" said...

sun nahii paayii...

राकेश खंडेलवाल said...

चाहा बहुत सुनूं कविता मैं,
लेकिन याहू दगा दे गया
संदेसा ये लेकर आया
ये पन्ना है कहीं खो गया
जियोसिटी पर ऐसा अक्सर
हो जाता है सुना हुआ था
इसीलिये तो मुझे अंगुठा
कविता की एवज दिखलाया